बाय-बाय गूगल, अब अमेरिकी स्टॉक मार्केट में दिखेगा अल्फाबेट का नाम
सोमवार को जब अमेरिकी मार्केट खुलेंगे, तब गूगल का स्टॉक ट्रेड नहीं हो रहा होगा, उसकी जगह अल्फाबेट का नाम दिखेगा। क्लास ए केटेगिरी में शामिल गूगल का स्टॉक GOOGL.O और सी केटेगिरी में शामिल GOOG.O अब अल्फाबेट के नाम से ट्रेड होंगे। आपकों बता दें कि कुछ महीने पहले कंपनी ने बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग की थी, जिसके तहत सर्च इंजन गूगल ने 'अल्फाबेट इंक' नाम से एक नई कंपनी बनाई और इसी के तहत अब गूगल की सभी बड़ी गतिविधियां संचालित होंगी। इस नई ब्रैंडिंग के तहत गूगल अपनी सबसे लोकप्रिय सेवाओं को बरकरार रखा है। इसमें इंटरनेट सर्च, ऐप, यूट्यूब और एंड्रॉयड शामिल हैं।
सोमवार से गूगल की जगह लेगी अल्फाबेट
अगले हफ्ते सोमवार को गूगल की जगह अल्फाबेट ट्रेड होगी, क्योंकि हाल मे रीस्ट्रक्चरिंग के बाद गूगल पेरेंट कंपनी नहीं है। इसकी जगह अल्फाबेट को पेरेंट कंपनी बनाया गया है।
गूगल की मार्केट कैप: 28,02,800 करोड़ रुपए
गूगल का प्रदर्शन: एक हफ्ते में 2.63%, एक महीने में 1.87%, छह महीने में 21.37% और इस साल अब तक 23% का रिटर्न दिया है जबकि अमेरिका के सभी बेंचमार्क इंडेक्स निगेटिव जोन में है।
गूगल ने हाल में की थी रीस्ट्रक्चरिंग
कंपनी बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग के तहत नई होल्डिंग कंपनी अल्फाबेट बनी। अल्फाबेट में सबसे बड़ी कंपनी गूगल है, जिसके सीईओ सुंदर पिचाई है। दरअसल, गूगल ने अपनी रीब्रांडिंग करते हुए इसे अल्फाबेट नाम दिया है। इसके तहत कई कंपनियां आई है, जिसमें सबसे बड़ी गूगल है। इस फैसले के बाद गूगल का कोर बिजनेस अलग हो गया है। नए गूगल में सर्च, एड, मैप, एप, यूट्यूब और एंड्रॉयड शामिल है। वहीं अल्फाबेट में कैलिको, नेस्ट, फाइबर समेत गूगल वेंचर और गूगल कैपिटल के कारोबार को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, अल्फाबेट के साथ कुछ नई चीजें भी जुड़ रही हैं और इनमें निवेश और शोध ईकाइयां, स्मार्ट-होम यूनिट 'नेस्ट' और ड्रोन शाखा शामिल हैं। गूगल के संस्थापक लैरी पेज का कहना है कि गूगल अब कई तरह की सेवाएं दे रही है, ऐसे में कंपनी के पुनर्गठन से उसका ढांचा ज्यादा आसान होगा। उन्होंने ब्लॉगपोस्ट में लिखा, "नए स्ट्रक्चर के जरिए हम उन अद्भुत अवसरों पर जबर्दस्त तरीके से ध्यान बनाए रखेंगे, जो गूगल के भीतर मौजूद हैं। वो कहते हैं कि हमारी कंपनी अच्छी तरह से चल रही है, लेकिन हम समझते हैं कि हम अब इसे और स्वच्छ और जवाबदेह बना सकते हैं। मूल बात ये है कि अल्फाबेट में शामिल कंपनियां स्वतंत्रत होनी चाहिए और वो अपने ब्रैंड खुद विकसित करें।
सोमवार को जब अमेरिकी मार्केट खुलेंगे, तब गूगल का स्टॉक ट्रेड नहीं हो रहा होगा, उसकी जगह अल्फाबेट का नाम दिखेगा। क्लास ए केटेगिरी में शामिल गूगल का स्टॉक GOOGL.O और सी केटेगिरी में शामिल GOOG.O अब अल्फाबेट के नाम से ट्रेड होंगे। आपकों बता दें कि कुछ महीने पहले कंपनी ने बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग की थी, जिसके तहत सर्च इंजन गूगल ने 'अल्फाबेट इंक' नाम से एक नई कंपनी बनाई और इसी के तहत अब गूगल की सभी बड़ी गतिविधियां संचालित होंगी। इस नई ब्रैंडिंग के तहत गूगल अपनी सबसे लोकप्रिय सेवाओं को बरकरार रखा है। इसमें इंटरनेट सर्च, ऐप, यूट्यूब और एंड्रॉयड शामिल हैं।
सोमवार से गूगल की जगह लेगी अल्फाबेट
अगले हफ्ते सोमवार को गूगल की जगह अल्फाबेट ट्रेड होगी, क्योंकि हाल मे रीस्ट्रक्चरिंग के बाद गूगल पेरेंट कंपनी नहीं है। इसकी जगह अल्फाबेट को पेरेंट कंपनी बनाया गया है।
गूगल की मार्केट कैप: 28,02,800 करोड़ रुपए
गूगल का प्रदर्शन: एक हफ्ते में 2.63%, एक महीने में 1.87%, छह महीने में 21.37% और इस साल अब तक 23% का रिटर्न दिया है जबकि अमेरिका के सभी बेंचमार्क इंडेक्स निगेटिव जोन में है।
गूगल ने हाल में की थी रीस्ट्रक्चरिंग
कंपनी बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग के तहत नई होल्डिंग कंपनी अल्फाबेट बनी। अल्फाबेट में सबसे बड़ी कंपनी गूगल है, जिसके सीईओ सुंदर पिचाई है। दरअसल, गूगल ने अपनी रीब्रांडिंग करते हुए इसे अल्फाबेट नाम दिया है। इसके तहत कई कंपनियां आई है, जिसमें सबसे बड़ी गूगल है। इस फैसले के बाद गूगल का कोर बिजनेस अलग हो गया है। नए गूगल में सर्च, एड, मैप, एप, यूट्यूब और एंड्रॉयड शामिल है। वहीं अल्फाबेट में कैलिको, नेस्ट, फाइबर समेत गूगल वेंचर और गूगल कैपिटल के कारोबार को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, अल्फाबेट के साथ कुछ नई चीजें भी जुड़ रही हैं और इनमें निवेश और शोध ईकाइयां, स्मार्ट-होम यूनिट 'नेस्ट' और ड्रोन शाखा शामिल हैं। गूगल के संस्थापक लैरी पेज का कहना है कि गूगल अब कई तरह की सेवाएं दे रही है, ऐसे में कंपनी के पुनर्गठन से उसका ढांचा ज्यादा आसान होगा। उन्होंने ब्लॉगपोस्ट में लिखा, "नए स्ट्रक्चर के जरिए हम उन अद्भुत अवसरों पर जबर्दस्त तरीके से ध्यान बनाए रखेंगे, जो गूगल के भीतर मौजूद हैं। वो कहते हैं कि हमारी कंपनी अच्छी तरह से चल रही है, लेकिन हम समझते हैं कि हम अब इसे और स्वच्छ और जवाबदेह बना सकते हैं। मूल बात ये है कि अल्फाबेट में शामिल कंपनियां स्वतंत्रत होनी चाहिए और वो अपने ब्रैंड खुद विकसित करें।
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